Must visit these places in tirupati balaji temple in andhra pradesh
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तिरूपति बालाजी मंदिर: अगर आप तिरूपति बालाजी के दर्शन करने जा रहे हैं तो पहले मंदिर से जुड़ी दिलचस्प और महत्वपूर्ण बातें जान लें।
तिरूपति बालाजी मंदिर, जिसे आधिकारिक तौर पर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है, भारत के आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुमाला शहर में स्थित एक प्राचीन और अत्यधिक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है। यह देश के सबसे प्रसिद्ध और देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है, जो दुनिया भर से लाखों भक्तों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
तिरूपति बालाजी के दर्शन
तिरुपति बालाजी के दर्शन भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित तिरुमला नामक शहर में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में किए जाते हैं। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे विश्वसनीय मंदिरों में से एक है, जिसे विश्व भर से लाखों भक्त और यात्री हर साल आते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन कुछ विशेष बातें हैं:
देवता: यह मंदिर भगवान विष्णु के एक अवतार, भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहास: मंदिर का इतिहास लगभग 2,000 साल पुराना है। यह माना जाता है कि मंदिर को पहले 9वीं शताब्दी के पल्लव राजवंश के एक राजा ने निर्मित किया था। विभिन्न समयों में, विभिन्न राजवंशों और शासकों ने मंदिर के विस्तार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वास्तुकला: मंदिर की वास्तुकला द्रविडीयन और चोल कला के उत्कृष्ट मिश्रण को प्रदर्शित करती है। इसकी ऊंची गोपुरमें, जटिल नक्काशीत स्तंभों और सुंदर मूर्तियों के आकर्षक फीचर हैं, जिनसे भक्तों को प्रभावित किया जाता है।
स्थान: मंदिर तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित है, जो सात पहाड़ियों में से एक हैं। इन पहाड़ियों को माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर के दिव्य स्थान रूप में हैं।
भक्तों के अर्पण: भक्त भगवान वेंकटेश्वर को विभिन्न प्रकार के प्रार्थना और भेंट अर्पित करते हैं, जैसे बालाजी के लिए केश चुंबन, फूलों की माला, नारियल, और दान। मंदिर की हुंडी भक्तों से आये धनराशि को संग्रह करती है, जिससे यह विश्व में सबसे धनी धार्मिक संस्था में से एक है।
त्योहार: मंदिर में विभिन्न त्योहारों को उत्साह के साथ मनाया जाता है, जैसे वैकुण्ठ एकादशी, ब्रह्मोत्सव, और रथोत्सव। वैकुण्ठ एकादशी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,
तिरूपति बालाजी मंदिर का इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और लगभग 2,000 से अधिक वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर का इतिहास मिलते-जुलते सिद्धांतों, इतिहासिक घटनाओं, और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।
कुछ महत्वपूर्ण इतिहासिक घटनाएं:
- प्राचीन काल: तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास वेद पुराणों में उल्लेखित है। यह कालचक्र में बहुत पुराना स्थान माना जाता है, जिसका संबंध प्राचीन काव्य रामायण और महाभारत से भी है।
- पल्लव राजवंश: वैश्वनार श्रीनिवास पुराण के अनुसार, मंदिर को पहली बार पल्लव राजवंश के राजा थोण्डमान चक्रवर्ति ने 5वीं शताब्दी में निर्मित किया था।
- चोल राजवंश: चोल राजवंश के राजा कृष्णदेव राय ने 10वीं शताब्दी में मंदिर को पुनर्निर्माण किया और उसका विस्तार किया।
- विजयनगर राजवंश: 14वीं शताब्दी में विजयनगर राजा वीर विद्यारण्य ने मंदिर के समीप दर्शनघर (Maha Dwaram) का निर्माण किया।
- ब्रिटिश शासन: 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान, मंदिर को ब्रिटिश सरकार के द्वारा प्रबंधित किया गया था।
यह मंदिर इतिहास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके चारों ओर कई धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हैं। मंदिर के इतिहास का अध्ययन भक्तों और धार्मिक पर्वाह करने वालों के लिए एक अद्भुत और शिक्षाप्रद अनुभव है।

तिरूपति बालाजी मंदिर में करने वाला कुछ महत्वपूर्ण दान जो आप भी कर सकते हो
तिरुपति बालाजी मंदिर में कुछ महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध दान या यज्ञ विशेष अर्चना हैं, जो भक्तों द्वारा किए जाते हैं और इन्हें पूरा करने से माना जाता है कि उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है। ये दान और अर्चनाएं भक्तों के आसपास वृद्धि, समृद्धि, आरोग्य, और सम्पूर्णता की प्राप्ति के लिए किये जाते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण दान और अर्चनाएं:
- केश चुंबन (Tonsuring): भक्त अपने सिर के बालों को काटकर इस अर्चना को समर्पित करते हैं। यह अक्सर सभी धार्मिक यात्री करते हैं।
- ब्रह्मोत्सव: इसमें मंदिर में विष्णु भगवान के विशेष पर्वाह के दौरान पंडित यज्ञ विशेष अर्चना करते हैं।
- सुप्रभातम: यह समय सुबह के आधी रात्रि में भगवान को जगाने के लिए समर्पित होता है। यह भजन एवं अर्चना भक्तों के द्वारा भगवान को समर्पित किया जाता है।
- वाहन पूजा: भगवान की विशेष वाहनों, जैसे गरुड़ वाहन, सेशा वाहन, आदि को पूजा करने से भक्तों को वाहन संबंधी समृद्धि और सुरक्षा मिलती है।
- हवन (Havan): इसमें पंडित यज्ञकुंड में धूप, दीप, और गव्य उपचारों के साथ विशेष मंत्रों का पाठ करते हैं। यह अर्चना भगवान के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए की जाती है।
यह दान और अर्चनाएं भगवान के दिव्य सन्निधान में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और भक्तों द्वारा ईमानदारी और भक्ति के साथ किए जाने पर भगवान उन्हें अपने आशीर्वाद से आशीर्वदित करते हैं।
तिरूपति बालाजी मंदिर का प्रसाद
तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद बहुत प्रसिद्ध है और इसे भगवान वेंकटेश्वर की कृपा का प्रतीक माना जाता है। मंदिर के प्रसाद के रूप में विशेष रूप से बने जाने वाले टिरुपति लड्डू (Tirupati Laddu) को माना जाता है।
टिरुपति लड्डू विशेष रूप से भगवान वेंकटेश्वर के प्रसाद के रूप में बनाया जाता है और यह मंदिर के भक्तों को दिया जाता है। यह मिठाई एक विशेष रेसिपी के अनुसार बनती है और इसमें गेहूं का आटा, चीनी, घी, काजू और किशमिश का उपयोग किया जाता है। टिरुपति लड्डू की खुशबू, स्वाद, और उपयोग किए जाने का परंपरागत तरीका इसे विशेष बनाता है।
टिरुपति लड्डू को मंदिर में प्रसाद के रूप में दी जाती है और यह भक्तों को समर्पित किया जाता है। लड्डू के अलावा अन्य प्रसाद जैसे पुलिहोरा (तमिल में चित्रान्नम्), दद्दोजनम् (वेनपूसणकाम्), दधोजनम् (तमिल में तयिरसदम्), अन्नाम् (रसमायन) और शिर्डीचा अंबरीस भाजन भी प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।
टिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को भक्तों के द्वारा ग्रहण करना धार्मिक आदर्शों में एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह प्रसाद भक्तों को उनके श्रद्धा और भक्ति का परिचय करता है और उन्हें आनंद और शांति की अनुभूति कराता है।
तिरूपति बालाजी मंदिर में लोगों की मान्यता के अनुसार माने
तिरुपति बालाजी मंदिर एक श्रीवैष्णव हिंदू मंदिर है जो भगवान वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) के दिव्य सन्निधान में स्थित है। यह मंदिर अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। इसमें भक्तों की मान्यताएं और धार्मिक आचार-विचार के कुछ मुख्य तत्व हैं:
श्रद्धा और विश्वास: तिरुपति बालाजी मंदिर के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे भगवान के दिव्य स्थान के रूप में स्वीकार करते हैं। उनके लिए यह एक पवित्र धार्मिक यात्रा का स्थल है और उन्हें इस मंदिर में भगवान के सन्निधान में आनंद और शांति की अनुभूति होती है।
यात्रा और दर्शन: तिरुपति बालाजी मंदिर की यात्रा भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भक्त भगवान के दिव्य सन्निधान में प्रवेश करते हैं और उन्हें देवराजा से श्रीवैष्णव संप्रदाय के धार्मिक अनुष्ठान दर्शाया जाता है।
केश चुंबन (Tonsuring): भक्त अपने सिर के बालों को कटवाने के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर जाते हैं। इसे भक्तों के इच्छानुसार किया जाता है और इसे भगवान को समर्पित किया जाता है।
टिरुपति लड्डू: टिरुपति लड्डू भगवान के प्रसाद के रूप में भक्तों को समर्पित किया जाता है। भक्त इसे प्रसाद के रूप में धार्मिक भावना के साथ स्वीकार करते हैं।
सेवा और सेवक भाव: तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्त सेवा और सेवक भाव से आते हैं। भक्तों को अपने श्रद्धा और भक्ति के साथ सेवा करने का अवसर मिलता है।
इन मान्यताओं और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से तिरुपति बालाजी मंदिर भक्तों के दिलों में अपनी विशेषता और अद्भुतता के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले लाखों भक्त भगवान के प्रति अपनी विशेष भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करते हैं।
तिरूपति बालाजी के दर्शन कैसे करे
टिरुपति बालाजी के दर्शन करने के लिए आपको निम्नलिखित दो लिंक्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
- आधिकारिक वेबसाइट: टिरुपति बालाजी मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आप मंदिर के दर्शन सम्बंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर आपको मंदिर के दर्शन के समय, टिकट बुकिंग की प्रक्रिया, दर्शन सम्बंधित नियम और अन्य विवरण मिलेंगे। यहां का लिंक है: https://www.tirumala.org/
- यात्रा संगठनों की वेबसाइट: कई यात्रा संगठन भक्तों के लिए टिरुपति बालाजी के दर्शन की यात्रा आयोजित करते हैं। आप इन संगठनों की वेबसाइट पर जाकर यात्रा के बारे में , पैकेज और दर्शन सम्बंधित जानकारी ले सकते हैं।
- टिरुपति बालाजी के दर्शन करने के लिए आपको वेबसाइट द्वारा यात्रा योजना बनानी चाहिए, टिकट बुक करनी चाहिए और दर्शन समय का पालन करना चाहिए। आपको मंदिर में दर्शन करते समय अपने धार्मिक और आचार-विचार के साथ विशेष विशेष भक्ति और श्रद्धा रखनी चाहिए।
कुछ यात्रा स्पेशल टिकट के उदाहरण निम्नलिखित हैं:
सुप्रभातम दर्शन टिकट: इस टिकट के अंतर्गत भक्तों को सुप्रभातम अर्चना के दौरान भगवान के दर्शन के लिए अनुमति मिलती है। यह अर्चना सुबह के आधी रात्रि में होती है।
सेवा दर्शन टिकट: इस टिकट के तहत भक्तों को कट्टुपुरोहित सेवा, सहस्रनामार्चना, विशेष अन्नदान, वाज़िफा (नामाज़), आदि के दर्शन के लिए अनुमति मिलती है।
वस्त्रोत्सवम् टिकट: यह टिकट भगवान को सजाने और वस्त्र बदलने के दर्शन के लिए उपयोगी होता है। इस टिकट के अंतर्गत भक्त विशेष भक्ति और दर्शन करते हैं।
तिरूपति बालाजी दर्शन के समय ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातें
तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन के समय, आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपकी यात्रा सुखद और समृद्धि से भरी हो। यहां कुछ ध्यान रखने वाली बातें हैं:
- यात्रा की तैयारी: यात्रा के समय अपने सामान की तैयारी करें। अपने टिकट, आवश्यक दस्तावेज़, और पूजा सामग्री को साथ रखें। टिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों को अपने बैग और फोन को एंट्रेंस पर छोड़ना पड़ सकता है, इसलिए यात्रा करते समय अपने व्यक्तिगत सामान का ध्यान रखें।
- दर्शन के समय और तारीख: टिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए आपको अलग-अलग टिकट ऑप्शन और समय स्लॉट्स मिल सकते हैं। इसलिए पहले से ही यात्रा के समय, तारीख और टिकट बुकिंग के लिए तैयारी करें।
- विधि-विधान: मंदिर में दर्शन करते समय धार्मिक अनुष्ठान का पालन करें। श्रद्धा और भक्ति से भगवान के सन्निधान में आने का प्रयास करें।
- वस्त्र विधि: मंदिर के दर्शन के लिए आपको नियमित भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए साधारण वस्त्र पहनने की अनुमति होती है। ध्यान रखें कि वेबसाइट द्वारा निर्दिष्ट वस्त्र विधि का पालन करें और समय पर तैयार हों।
- सुरक्षा उपाय: यात्रा करते समय अपने व्यक्तिगत सुरक्षा और सुरक्षा उपाय का ध्यान रखें। भगवान के दर्शन के लिए भव्य रूप से लगने वाली भीड़ को अच्छी तरह समझें और एक-दूसरे के साथ सहयोग करें।
- स्नान और भोजन: भगवान के दर्शन के लिए यात्रा से पहले स्नान करें और शुद्ध भाव से मंदिर में प्रवेश करें। आपको भगवान के दर्शन के लिए भोजन के लिए विशेष अन्नदानालय मिल सकते हैं, इसलिए आप अपनी यात्रा के समय भोजन के विचार का ध्यान रखें।
- संगठन की सहायता: यदि आप यात्रा में नए हैं या पहली बार टिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन कर रहे हैं, तो आप किसी यात्रा संगठन की सहायता ले सकते हैं। ये संगठन आपको यात्रा की प्रक्रिया में मदद करेंगे और आपके लिए विशेष दर्शन और सुविधाएं भी आयोजित कर सकते हैं।
यह ध्यान रखने वाली बातें टिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन के समय आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए आपकी यात्रा सुखद और समृद्धि से भरी होगी।
तिरूपति बालाजी दर्शन का समय
तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन का समय निम्नलिखित रूप से होता है:
- सुप्रभात दर्शन (Suprabhatham Darshan): यह दर्शन सुबह 3:00 AM से 4:00 AM तक होता है। इसमें भक्तों को भगवान के सुप्रभातम अर्चना के दर्शन का अनुमति मिलती है।
- सर्वदर्शनम् (Sarva Darshanam): यह दर्शन मंदिर के खुलने से लेकर बंद होने तक रहता है। सामान्यतः दिनभर इस दर्शन का समय होता है। इसमें सभी भक्त भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
- विशेष दर्शन (Special Darshan): यह दर्शन समय समय पर अलग-अलग स्लॉट्स में आयोजित किया जाता है। इसमें भक्तों को अलग-अलग विशेषता और सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
तिरूपति बालाजी के आसपास घूमने लायक जगह
तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास विभिन्न शानदार स्थान हैं जिन्हें आप घूमने के लिए चुन सकते हैं। यहां कुछ लोकप्रिय जगहों का उल्लेख किया गया है:
- श्री कपिल तीर्थम्: श्री कपिल तीर्थम् तिरुपति से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर्वती जी ने भगवान विष्णु को ध्यान करते हुए प्राप्त किया था। यहां से आप चालक द्वारा उपर जाने के लिए रॉपवे यात्रा का आनंद ले सकते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा सकते हैं।
- सखी प्राकर्तिक जलधारा: सखी प्राकर्तिक जलधारा भगवान श्री कृष्ण के भजन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह तिरुपति से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर्वती नदी के जल स्रोतों का दृश्य आपको मन मोह लेगा।
- तालकोन्दा: तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तालकोन्दा भगवान शिव के भजन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान शिव ने भगवान विष्णु के विरोधी अंश विश्वरूप को दहन किया था।
- श्री वरदराज स्वामि मंदिर: यह मंदिर तिरुपति मंदिर के पास है और विशेष रूप से अपने श्रीवत्स के कारण प्रसिद्ध है। यहां भगवान विष्णु के आविर्भाव की कथा से जुड़ी हुई है।
- श्री कोवूर आनजनेय स्वामी मंदिर: यह मंदिर तिरुपति मंदिर से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां भगवान हनुमान कोविल के रूप में जाना जाता है और यहां पर्वती नदी के तट पर स्थित विशेष स्थान है।
ये जगहें तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास आपके दर्शन के समय घूमने के लिए उपयुक्त हैं। यात्रा करने से पहले, आप इन जगहों के बारे में और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय गाइड से संपर्क कर सकते हैं।